Monday 1 October 2012

कमजोर की उपेक्षा से आदमी स्वयं कमजोर हो जाता है

बुजर्ग दिवस’ 1 अक्तूबर पर कुरआन का संदेश
पवित्र कुरआन यह कहता है कि वृद्ध एवं कमजोर की मदद करो, भूखों को खाना खिलाओ, बेसहारों का सहारा बनो और हजरत मोहम्मद (स) यह कहते हैं कि कमजोरों और माजूरों (विकलांग) की वजह से अल्लाह तुम्हारी मदद करता है. तुम्हारी रिज्क में बरकत देता है, दुश्मनों से तुम्हारी हिफाजत करता है. मेरे भाइयों, अगर हम गौर करें तो हमारे आसपास हमारे घर में, हमारे समाज और हमारे मुल्क में ऐसे कमजोर, माजूर, बेसहारा, दबे-कुचले मजलूम लोग मिल जाएंगे, जिनकी मदद और खिदमत करके हम ऊंचे मकाम और कामयाबी की मंजिलों को पा सकते हैं.. मगर अफसोस कि हम ऐसा नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से चारों तरफ से परेशानी और मुसीबतों ने हमें घेर लिया है. इन्सान ही नहीं पूरा मुल्क परेशान है. इस परेशानी का हल खुदा ने बताया है.
आइए हम घर से बात शुरू करते हैं कि हम घर में क्यों परेशान हैं. पवित्र कुरआन और प्रेषित मोहम्मद (स) यह कहते हैं कि जिस घर में कमजोर, जईक (वृद्ध) लोगों के साथ अच्छा बर्ताव न हो, उनकी इज्जत न हो, उनको सही खाना न दिया जाए, उनका सही ख्याल न रखा जाए, उन्हें यूं ही छोड़ दिया जाए, उनकी दवाओं का ख्याल न रखा जाए उस घर से अल्लाह बरकतों को उठा लेता है. रिज्क की तंगी आ जाती है. मेहनत करने के बावजूद भी कारोबार में नफा नजर नहीं आता. दुश्मनों के मुकाबले में अल्लाह की मदद नहीं मिलती, अफसोस की बात है कि आज तालीम होने के बावजूद पढ़े-लिखे समाज में एजूकेटेड घरानों में भी कमजोरों, जईफों, माजूरों के साथ जो बर्ताव किया जा रहा है, उसे देखकर रुह कांप जाती है.
मां-बाप अगर बूढ़े हो गए तो बहू का मामला तो दूर पढ़ी-लिखी औलाद भी उन्हें बोझ समझ रही है. पवित्र कुरआन कहता है कि मां-बाप से ऊंची आवाज में बात करना तो बहुत दूर, उनका उफ और हूं भी न कहो. आज औलाद उन्हें डांट कर खामोश बैठा रही है. उनको खाना वक्त पर देना, मांगने पर उन्हें चाय पेश करना औलाद के लिए बड़ा मुश्किल हो गया है. बच्चे यह भूल गए कि ये वो मां-बाप हैं, जो खुद भूखे रह जाते थे और मुङो खिलाते थे. होना तो यह चाहिए कि बेटा यह कहे कि मेरी मां तूने जो तकलीफें उठाई हैं, वो मुङो याद हैं, वह तेरा रात-रात भर मेरे लिए जागना, मुङो बुखार आ जाए तो तेरा मेरे लिए तड़पना, मुङो आंचल में लेकर सर्दी और गर्मी के थपेड़ों से बचाना, सब मुङो याद है. मां मैं तेरी खिदमत करुंगा, तेरी खिदमत ही में मेरी जन्नत है. तू राजी, तो रब राजी, तू खुश तो सारी बरकतें मेरे घर में रहेंगी..
मेरे भाइयों, कुछ घराने ऐसे भी है, जहां खुदा ने माजूर बच्चे भी पैदा किए हैं, वह खुद का राज हैं, लेकिन अल्लाह ने अपने प्रेषित की जबान से पूरी दुनिया के इन्सानों तक यह पैगाम पहुंचाया कि सुनो. तुम्हें कमज़ोरों की वजह से रिज्क (रोजी-रोटी) दिया जाता है. अल्लाह की रहमतें तुम्हारे घरों में आती है और अल्लाह हर मोड़ पर तुम्हारी मदद करता है और हजरत मोहम्मद (स) यह भी फरमाया कि बहुत लोग ऐसे भी हैं, जो दिखने ने बड़े बुरे हाल में नजर आएंगे. बिखरे हुए बाल, फटे-पुराने पैबंद लगे लिबास में नज़र में आएंगे. जिनको लोग धक्के देकर या जबान के तीर बरसाकर अपनी दुकानों और घरों के दरवाजे से हटा देंगे. मगर याद रख. वह फकीर और परेशान हाल लोग खुदा के नजदीक इतना ऊंचा मकाम रखते हैं कि वह जो कसम खा ले, खुदा उसको पूरा कर देता, उनके जबानों से निकले अलफाज किसी को उजाड़ देते हैं या बसा देते हैं. उनकी नाकद्री न करो, उनका वजूद पूरी कायनात के लिए बरकत का जरिया हैं.
हजरत मोहम्मद (स) ने यह भी कहा कि ऐ लोगों, खुदा से डरो, जुल्म मत करो, किसी को हकीर मत समझो. जो लोग अपने आपको बड़ा उंचा और दूसरों को हकीर समझते हैं, उनको नसीहत की कि यह अल्लाह को पसंद नहीं.. और हजरत मोहम्मद (स) ने यह कहा कि जिस कौम, जिस समाज के लोग कमजोरों का हक मारते हैं, मैं उन्हें यह समझाता हूं कि कमजोरों पर जुल्म करनेवाले भी कमजोर हो जाते हैं. उनकी ताकद और कूवत, शानों-शौकत खत्म हो जाती है. आज यह हम अपनी आंखों से देख रहे हैं कि जिस घर में कमजोरों पर जुल्म हो वह घर कमजोर हो जाता है. जिस समाज में कमजोरों पर जुल्म हो वह समाज भी कमजोर हो जाता है... और मुल्क में कमजोरों पर जुल्म किया जाए वह मुल्क भी कमजोर हो जाता है. बड़े-बड़े सुपर पावर समङो जाने वाले मुल्क, कमजोरों को दबाने की वजह से अंदर से कमजोर और खोखले हो चुके हैं.
जो मुल्क दूसरे मुल्कों को कमजोर बनाना और देखना चाहते हैं, वह मुल्क अपने ही बनाए और बचे हुए हथियारों से खुद अपनी तबाही का मंजर देख रहे हैं. जिन लोगों को और जिस टीम को उन्होंने हथियार और माली मदद देकर दूसरे मुल्कों को तोड़ने और तबाह करने के लिए मजबूत किया था, आज वही लोग, वही टीम अब उनकी तबाही का जरिया बन गई है. जिस मुल्क में कमजोरों को और कमजोर किया जाए उनका हक न दिया जाए, उनकी इज्जत,आबरू, जान, माल महफूज न हो तो फिर बहुत जल्द वह मुल्क भी बहुत जल्द कमजोर हो जाता है. इसलिए.. मेरे भाइयों.. खुदा के इस पैगाम को समझो कि अपने आपको मजबूत ताकतवर, इज्जतदार और बड़े ऊंचे मकाम पर देखना चाहते हो तो फिर दूसरे को भी इस मकाम तक पहुंचाने की कोशिश करो. आज हो यह रहा है कि हम दूसरों को गिरा और घटाकर अपने आपको ऊंचा बनाना चाहते हैं, नतीजा निकलता है कि हम इतना नीचे गिर जाते हैं कि उठ नहीं पाते. अल्लाह हम सबको समझ नसीब फरमाए.

नशा पिलाकर गिराना तो सबको आता है
मजा तो तब है कि गिरते को थाम लो साकी