फिर दिखी सत्याग्रह की ताकत
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के घोघल गांव में नर्मदा नदी में पिछले 17 दिनों से जल सत्याग्रह पर बैठे आंदोलनकारियों की मांगों और समस्याओं को सुलझाने की दिशा में सोमवार को प्रदेश सरकार को अपनी जिम्मेदारी का अहसास हुआ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समस्याओं को 90 दिनों में सुलझाने के लिए एक पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित करने की सोमवार को घोषणा की. इसके साथ ही जल सत्याग्रहियों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया है.
इससे पूर्व शनिवार को मुख्यमंत्री की ओर से मिलने गए दो मंत्रियों को सत्याग्रहियों ने बैरंग वापस लौटा दिया था. उन्होंने आंदोलनकारियों से दो दिनों का समय मांगा था और अपना आंदोलन समाप्त करने की शर्त उनके सामने रखी थी.
आंदोलनकारियों की एकजुटता और अपने प्रति हो रहे अन्याय के खिलाफ उनका यह संघर्ष अद्भुत रहा और तमाम लोकतांत्रिक तौर-तरीकों पर आस्था रखने वालों के लिए अनुकरणीय बन गया है. निश्चित रूप से यह आंदोलन काबिले तारीफ रहा. सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की हमारी जनता ने उसी साहस और दृढ़ता को अपनाते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह की प्रेरक ताकत से आज एक बार फिर देश और दुनिया को परिचित करा दिया है.
पिछले माह 25 अगस्त से पूरे सत्रह दिन तक घोघलगांव और उसके आस-पास के 51 ग्रामीण, जिनमें वृद्ध पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल थीं, नर्मदा में दिन के 22 घंटे गर्दन और नाक तक पहुंचते जल स्तर का सामना करते रहे. वे नदी में ही डटे रह कर 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए और 120 मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए बांध में जल भराव की सरकारी जिद का मुकाबला करते रहे. सत्याग्रही अपने विस्थापन की समस्या के निदान की मांग उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुरूप करने के लिए यह सत्याग्रह कर रहे थे.
गंदे पानी में रह कर आंदोलन करने से उनके पूरे शरीर की क्या गत बन रही थी और उनके स्वास्थ्य पर कितना बुरा असर पड़ता रहा, इसकी उन्होंने जरा भी परवाह नहीं की. अंतत: उन्होंने प्रदेश की भाजपा सरकार को इस बात के लिए विवश कर दिया कि वह उनकी पीड़ा समङो एवं संवेदनशीलता का परिचय दे. उनकी न्यायसंगत मांग पूरी करे. सूबे की शिवराज सरकार अब तैयार हो गई है कि वह विस्थापित हो रहे आंदोलनकारियों को जमीन के बदले जमीन देगी और बांध का जल स्तर 189 मीटर तक ही रखा जाएगा.
खंडवा का यह ग्राम घोघल गांव एक सप्ताह से देश में चर्चा का विषय बन गया था. यहां 51 लोगों में महिलाएं और बुजुर्ग भी थे, पिछले 17 दिनों से लगातार पानी में बैठकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. पानी में रहने से उनकी चमड़ी गलने लगी थी. पानी से संक्र मण हो रहा था और पानी बढ़ने से डूबने का खतरा भी बना हुआ था. नाउम्मीदी से मुरझा रहे सत्याग्रहियों के चेहरे जीत से खिल गए. छोटे से गांव के कमजोर समङो जानेवाले मजबूत इरादों के लोगों ने अंतत: जीत दर्ज कर ली.
: कल्याण कुमार सिन्हा
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