सरकारी
खजाने (कोषागार)
में
डकैती !
अकोला
जिलाधिकारी
कार्यालय में स्थित जिला
कोषागार कक्ष में डकैती की
एक बड़ी
वारदात
रविवार10
अगस्त
की शाम हुई.
स्वतंत्र
भारत के
इतिहास में
जिला कोषागार लूटने अथवा इस
तरह सरकारी
खजाने पर हाथ डालने का दुस्साहस
पहले और
कहीं होने
का कोई दूसरा उदाहरण नहीं
मिलता.
इसे
बैंक
डकैती जैसी
वारदात नहीं
है.
इसे
टाला या
दबाया
भी नहीं
जा सकता.
जिला
पुलिस मुख्यालय से मात्र 100
मीटर
पर हुई यह घटना सिर्फ
जिला प्रशासन और
जिला पुलिस
के लिए ही मात्र
शर्म की
बात नहीं है,
यह
राज्य सरकार को भी खुली चुनौती
है.
जिला
कोषागार किसी भी सरकार की
अस्मिता से
जुड़ी संस्था होती है.
उस
पर हाथ डालने का दुस्साहस कोई
आम चोर,
लुटेरा
या डकैत नहीं हो सकता.
कोषागार
में मात्र
कोई रुपए
ही नहीं
रखे होते.
डकैती
का यह अपराध राज्य सरकार के
माथे पर कलंक का एक टीका के
समान है.
सरकार
की साख को धक्का पहुंचाने वाला
है.
आगामी
विधानसभा चुनावों के माहौल
में यह डकैती कांड सरकार और
सत्तारूढ़ दल के विरुद्ध विपक्ष
एक हथियार के भी रूप इस्तेमाल
कर सकता है.
जिला
कोषागार वास्तव में जिले की
सभी तरह की वैध लेन-देन
का रिकार्ड रखता
है.
कोषागार
में विभिन्न
प्रकार की सरकारी संपत्ति के
लिए विभिन्न प्रकार के रजिस्टर
रखे जाते हैं.
इन
रजिस्टरों पर इन संपत्ति की
जानकारी लिखी होती
है.
कोषागारों
में राज्य सरकार के कार्यालयों
में कार्यरत अधिकारियों,
कर्मचारियों
के वेतन तथा अन्य मदों से
सम्बन्धित व्ययों
जैसे यात्रा व्यय,
आकस्मिक
व्यय (जिनका
बजट कोषागार एवं सम्बन्धित
कार्यालय में उपलब्ध है)
को
कोषागार में देयक के रूप में
प्रस्तुत कर व्यय करने की
कार्रवाई
की जाती है.
साथ
ही यहां
पेंशन वितरण का कार्य जैसे
सिविल पेंशन,
राजनैतिक
पेंशन,
रक्षा
पेंशन,
अन्य
प्रदेश सरकार से सेवा निवृत्त
कर्मचारियों को देय पेंशन
योजनाओं
के अन्तर्गत प्रत्येक माह
पेंशनरों द्वारा उपलब्ध कराए
गए
बैंक खातों में बैंकों के
माध्यम से भुगतान किया जाता
है.
सम्बन्धित
बैंक की मुख्य शाखा
के नाम से कोषागार द्वारा चेक
जारी करने के उपरान्त बैंक
को फ्लौपी के माध्यम से पेंशनरों
का डाटा उपलब्ध कराया जाता
हैं,
जिससे
बैंक द्वारा माह की पहली तारीख
को पेंशनरों के खातों में
पेंशन जमा कर दी जाती है.
ऐसे
खाते अमूमन भारतीय स्टेट बैंक
में होते हैं.
अकोला
कोषागार में डकैती का अंजाम
देने वाले इन दुस्साहसी डकैतों
को भी निश्चय ही इसका पता होगा.
फिर
इस दुस्साहसिक वारदात को अंजाम
देने वाले का
उद्देश्य क्या हो सकता है,
यह
विचारणीय है.
इन
दस्तावेडों के साथ ही
कोषागारों में कुछ बहुमूल्य
चीजें होती हैं,
वह
कोर्ट
फी स्टैंप,
जनरल
स्टैंप,
कुछ
सरकारी
रकम एवं सोने के रूप में होती
हैं.
जिला
कोषागार कक्ष में कुछ पुरातन
दस्तावेज,
सोने,
हीरे-जवाहरात
की अनेक वस्तुएं,
जिसमें
गिन्नी एवं अन्य ऐतिहासिक
वस्तुओं का समावेश भी होता
है.
इनकी
जानकारी भी उच्चाधिकारियों
एवं खास लोगों को ही होती है.
अकोला
की इस
वारदात की जानकारी संध्या
समय लगभग
6.30
बजे
लोगों
को तब हुई,
जब
कोषागार कक्ष के बाहर सुरक्षा
गार्ड मनोहर धारपवार को बेहाश
पड़ा पाया गया.
10
अगस्त
को रविवार
के साथ-साथ
रक्षा बंधन सरकारी
अवकाश भी
था.
इसका
लाभ उठाकर अज्ञात डकैतों ने
इस
वारदात को अंजाम देने
का दुस्साहस किया.
बड़ी
ही चालाकी से कोषागार कक्ष
का ताला तोड़कर
अंदर प्रवेश किया.
मुख्य
ताला तोड़ने
के बाद डकैतों द्वारा कक्ष
के भीतर वाले चार ताले भी सब्बल
एवं पेंचकच की सहायता से तोड़
डाले गए
और बाद
में कक्ष
के भीतर वाली बंद पेटियों से
उनके अंदर स्थित स्टैंप को
भी कक्ष में तितर-बितर
कर दिया.
अन्य
पेटियां
भी तोड़ी और
कक्ष के भीतर स्थित रैक क्र.
चार
तोड़कर
उसमें से भी लाखों का माल चुरा
लेने
की संभावना है.
कक्ष
के भीतर सभी प्रकार के बांड
(स्टैंप
पेपर)
रखे
जाते हैं.
डकैतों
द्वारा इन सभी बांड
भी उड़ा
लिए जाने
की संभावना है.
क्यों
कि प्रत्यक्षदर्शियों के
अनुसार कक्ष के भीतर पांच सौ
एवं हजार रुपए के बांड
तितर-बितर
पड़े
हुए थे.
जिला
कोषागार अधिकारी सं.बा.
सोनी
ही अब
बता सकते
हैं कि
कि कोषागार कक्ष से
क्या-क्या
और कितनी रकम गई
है.
कोषागार
में विभिन्न
प्रकार की सरकारी संपत्ति के
लिए विभिन्न प्रकार के रजिस्टर
रखे जाते हैं.
इन
रजिस्टरों पर इन संपत्ति की
जानकारी लिखी जाती है.
कक्ष
से चुराई गई सामग्री एवं
रजिस्टरों पर अंकित सामग्री
को जांचने के बाद ही डकैती की
रकम ज्ञात हो सकेगी.
फिलहाल
संभागीय आयुक्त सहित अमरावती
संभाग के जिलों के पुलिस एवं
प्रशासनिक अधिकारियों के
तबादले हुए हैं.
अकोला
पुलिस प्रशासन की भी यही
स्थिति है.
पुलिस
अधीक्षक भी नए हैं.
बताया
गया कि घटना के दिन वे शहर से
बाहर गए हुए थे.
डकैतों
ने सारी
स्थिति-परिस्थिति
को वारदात के अनुकूल देख अवकाश
के दिन ऐसे समय इसे अंजाम दिया,
जब
उनके लिए जोखिम न के बराबर था.
इस
वारदात की जांच अब महाराष्ट्र
सरकार कितनी गंभीरता और तत्परता
से कराती है,
यह
देखना है.
पुनश्च
:
अब
तक जिला कोषागारों में सरकारी
अधिकारियों द्वारा ही हेराफेरी
करने की खबरें सुनने को मिलती
थी.
स्टैम्प
घोटाला,
चारा
घोटाला जैसे प्रसिद्ध घोटालों
का जन्म देश के विभिन्न कोषागारों
में ही हुआ था.
अब
डकैत भी सामने आ गए हैं....
-
कल्याण
कुमार सिन्हा
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