Saturday 8 December 2012

बारह वर्षों बाद 2012-13 में होगा कुम्भ मेला

भारत की ह्दयस्थली सोम, वरुण प्रजापति ब्रह्मा की तपोभूमि, रिषियों मुनियों की यज्ञ स्थली इलाहाबाद में गंगा-यमुना तथा पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम तट पर वर्ष 2012-13 में लगने वाले विश्व प्रसिद्ध कुम्भ मेला की तैयारियां शुरु हो गई हैं.
हिमालय की कोख से अवतरित गंगा एवं यमुना के अद्भुत मिलन तथा अदृष्य सरस्वती के संगम तट पर प्रत्येक वर्ष माघ में डेढ़ माह तक चलने वाला माघमेला छह वर्ष पर अर्धकुम्भ तथा 12 वर्षों पर कुम्भ मेले का आयोजन होता है.
नक्षत्रों के अनुसार 2012-13 के माघ मास में यहां कुम्भ मेला आयोजित होगा जिसमें देश के सुदूर अंचलों के साथ ही विदेशों से श्रद्धालु बडी संख्या में सिरकत करेंगे. ऐसी मान्यता है कि प्रयागराज, इलाहाबाद को हिमालय के पंच प्रयागों देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्ण प्रयाग, नन्द प्रयाग एवं प्रयागराज में श्रेष्ठ माना गया है. इसीलिए इसे तीर्थराज प्रयाग की संज्ञा दी गई है.
संगम तट पर गंगा तथा यमुना नदियों के दोनों ओर कुम्भ मेला के लिए प्रशासनिक कार्यों की शुरुआत हो गई और अस्थाई निर्माण कार्य चल रहे हैं.
कुम्भ मेले के आयोजन का प्रावधान कब से है इस बारे में विद्वानों में अनेक भ्रांतियां हैं. वैदिक और पौराणिक काल में कुम्भ तथा अर्धकुम्भ स्नान में आज जैसी प्रशासनिक व्यवस्था का स्वरुप नहीं था.
कुछ विद्वान गुप्त काल में कुम्भ के सुव्यवस्थित होने की बात करते हैं। परन्तु प्रमाणित तथ्य सम्राट शीलादित्य हर्षवर्धन 617-647.के समय से प्राप्त होते हैं. बाद में श्रीमद आघ जगतगुरु शंकराचार्य तथा उनके शिष्य सुरेश्वराचार्य ने दसनामी सन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर स्नान की व्यवस्था की.

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