Sunday 2 December 2012

नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना

नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना
मालवा अंचल के लिए वरदान
भोपाल : मंगलवार, 27 नवम्बर, 2012
मध्यप्रदेश का मालवा क्षेत्र लंबे समय से गम्भीर जल संकट से जूझ रहा है. बढ़ती आबादी, तेजी से घटते वन और भूजल के अनियंत्रित दोहन जैसे कारणों से पिछले तीन दशक में मालवा क्षेत्र का भू-जल स्तर तेजी से घटा है. जानकारों का मत है कि यदि ऐसी ही परिस्थिति बनी रही तो आने वाले समय में मालवा क्षेत्र के रेगिस्तान बन जाने का भय है. सत्तर के दशक में मालवा की जल समस्या का समाधान सदा प्रवाहित नर्मदा से करने का विचार सामने आया. आने वाले समय में इस विचार को मूर्त रूप देने के लिए नर्मदा का तीन मिलियन एकड़ फीट पानी उद्वहन कर मालवा पठार में किसी उपयुक्त स्थान पर छोड़ने की कल्पना भी की गई. इस पर साल-दर-साल विचार होता रहा, परन्तु कोई सार्थक योजना नहीं बनाई जा सकी.
मालवा अंचल की सूखती क्षिप्रा, गम्भीर, कालीसिंध और पार्वती निदयों की स्थिति और मालवा के जिलों में गम्भीर पेयजल संकट से चिन्तित शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद सम्भालते ही इस विषय को अपनी प्राथमिकताओं में सिम्मलित किया और कल्पना को मूर्त रूप देने का कार्य आरम्भ हुआ. परियोजना के बारे में समय-समय होने वाले विचार-विमर्श के निष्कर्ष में मुख्यमंत्री ने तय किया कि मालवा के जल संकट का एकमात्र विकल्प नर्मदा का जल ही हो सकता है. मुख्यमंत्री की इस मुद्दे पर सतत चिंता के परिणामस्वरूप मालवा को नर्मदा से जोड़ने की प्रस्तावित चार योजना की ध्वजवाहक नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना की रूपरेखा बनी, जिससे कम समय में क्षिप्रा में नर्मदा जल प्रवाहित कर देवास एवं उज्जैन सहित क्षिप्रा के किनारे बसे गांवों को पेयजल एवं उद्योगों को पानी की आपूर्ति चालू की जा सके और आगे बड़ी योजनाओं का मार्ग प्रशस्त हो सके. विगत 08 अगस्त 2012 को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की राज्य मंत्रलय में समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने योजना को सैद्धांतिक स्वीकृति देकर मालवा के जल संकट के स्थाई हल का मार्ग प्रशस्त कर दिया. इसीके परिणामस्वरूप कल्पना योजना में तब्दील हुई और अब इसका निर्माण कार्य आरम्भ हो रहा है.
परियोजना का स्वरूप
परियोजना के अंतर्गत ओंकारेश्वर सिंचाई परियोजना के चौथे चरण में उद्वहन नहर के लिए सिसलिया तालाब में छोड़े जाने वाले नर्मदा जल में से पांच क्यूमेक जल का उद्वहन कर इन्दौर जिले के उज्जैनी ग्राम के पास क्षिप्रा नदी के उद्गम में डाला जाएगा. यहां से नर्मदा का जल क्षिप्रा में प्रवाहित होकर उज्जैन तक पहुंचेगा. आरिम्भक अनुमानों के अनुसार लगभग 49 कि.मी. की दूरी एवं 348 मीटर ऊंचाई तक जल का उद्वहन किया जाएगा. इसके लिए चार स्थल पर जल उद्वहन के विद्युत पम्पों की स्थापना की जाएगी. सम्पूर्ण योजना की प्रशासकीय स्वीकृति 432 करोड़ रुपए है.
रिकार्ड अविध में निर्माण का संकल्प
परियोजना के स्वरूप और मालवा क्षेत्न की पेयजल आवश्यकताओं की उच्च प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने परियोजना को एक वर्ष में पूरा करने का संकल्प व्यक्त किया है. संकल्प को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए इसके निर्माण की रूपरेखा निर्धारित कर ली है.
नर्मदा मालवा लिंक अभियान के लाभ
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नर्मदा से मालवांचल के विकास की परिकल्पना को साकार करने के जिस अभियान का 29 नवंबर को शुभारंभ किया है, उसके पूर्ण हो जाने पर मालवा क्षेत्र की कायापलट सुनिश्चित है.
इस अभियान के प्रथम चरण में ओंकारेश्वर परियोजना के सिसलिया तालाब से नर्मदा जल का क्षिप्रा में प्रवाह होगा. आगामी चरणों में महेश्वर से नर्मदा जल उद्वहन कर गम्भीर नदी में, इंदिरा सागर जलाशय से नर्मदा जल उद्वहन कर कालीसिंध और पार्वती नदी में प्रवाहित किया जाएगा. परियोजनाओं के पूर्ण हो जाने पर -
मालवा क्षेत्र के 17 लाख एकड़ में सिंचाई सुलभ होगी. इससे मालवा क्षेत्र में कृषि विकास के नए आयाम खुलेंगे.
वर्षों से पीने के पानी की समस्या से जूझते मालवा क्षेत्न की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान होगा. मालवा की नदियों में प्रवाहित होता नर्मदा का जल 70 कस्बे और 3000 गांव की प्यास बुझाएगा.
नर्मदा जल की उपलब्धता से मालवांचल में औद्योगिक विकास की गति तेज होगी. वर्तमान और भावी सैकड़ों उद्योगों को जल उपलब्ध हो सकेगा.
नर्मदा क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना के मुख्य बिन्दु-
उद्वहन द्वारा जल की मात्ना : 5.0 क्यूबिक मीटर
राइजिंग मेन की कुल लम्बाई : 49.00 किलोमीटर
उद्वहन की कुल ऊँचाई : 348.00 मीटर
विद्युत मोटर पम्प्स: चार स्टेज पम्पिंग
योजना की प्रशासकीय स्वीकृति : 432 करोड़ रु पए
नर्मदा-क्षिप्रा का संगम स्थल होगा आकर्षण का केन्द्रसिसलिया तालाब से जल उद्वहन कर इन्दौर जिले के उज्जैनी ग्राम के निकट क्षिप्रा उद्गम तक ले जाने के पूर्व एक आकर्षक कुण्ड में छोड़ा जाएगा. प्रस्तावित 10 3 15 मीटर चौड़ाई और लगभग 2.5 मीटर गहरे इस कुण्ड से दस किलोमीटर लंबी पक्की नहर से होकर नर्मदा जल क्षिप्रा उद्गम तक पहुंचेगा. कुण्ड और क्षिप्रा उद्गम तक की नहर के भाग को आकर्षक स्वरूप दिया जाएगा.
परियोजना के लाभनर्मदा का 5 क्यूमेक पानी जब क्षिप्रा उद्गम में प्रवाहित होगा तो यह सिंहस्थ के दौरान जल उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही उज्जैन नगर की वर्तमान और भावी जल आवश्यकता की पूर्ति करेगा. इस जल से देवास नगर की वर्तमान और भावी पेयजल आवश्यकता की पूर्ति होगी. इसके साथ ही देवास स्थित उद्योगों की जल आवश्यकता, देवास-इन्दौर रोड उपनगरीय जल आवश्यकता की पूर्ति और क्षिप्रा उद्गम से उज्जैन के बीच 150 से अधिक गांव की पेयजल आवश्यकता की पूर्ति होगी.
नर्मदा का जल क्षिप्रा में प्रवहमान होने से क्षेत्न का नीचे जाता भू-जल स्तर नीचे जाने से रुकेगा और रिचार्ज होकर भू-जल स्तर में बढ़ोत्तरी होगी. इससे क्षेत्र के कुओं, ट्यूबवेल्स और सूखे तालाब रिचार्ज होंगे. कुओं का जल-स्तर ऊपर आ जाने से पानी निकालने में बिजली की खपत कम होगी. कई छोटे उद्योगों को जल उपलब्ध करवाया जा सकेगा. परियोजना का एक उल्लेखनीय लाभ यह होगा कि प्रत्येक 12 वर्ष में उज्जैन में होने वाले विश्व प्रसिद्ध सिंहस्थ मेले में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के पवित्र स्नान और अन्य जल आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकेगी.
 
 

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