Thursday 5 June 2014

गरीब किसानों, पिछड़ों के मसीहा का निधन

नहीं रहा महाराष्ट्र का शीर्ष दबंग नेता 

महाराष्ट्र के शीर्ष राजनीतिक नेताओं में एक बड़ी शख्सियत केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गोपीनाथ जी मुंडे का मंगलवार को नई दिल्ली में सड़क दुर्घटना में निधन न केवल महाराष्ट्र अथवा भारतीय जनता पार्टी के लिए, बल्कि देश के गरीब किसानों और ग्रामीण क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी क्षति है. मुंडे देश के उन बड़े नेताओं में थे, जिन्होंने पिछड़े वर्ग और गरीब किसानों के लिए संघर्ष करते हुए क्षेत्र और प्रदेश की राजनीति के गलियारों से गुजरते हुए देश की राजनीति में अपनी पहचान बनाई. महाराष्ट्र के पिछड़े जिले बीड के परली गांव के अत्यंत पिछड़ा वंजारी समाज से आने वाले गोपीनाथजी बहुत ही गरीब परिवार से थे. सामाजिक शोषण और सामाजिक विषमताओं के बीच पल-बढ़ कर भी अपनी सामाजिक सरोकारों के लिए निष्ठा को लेकर कोई समझौता नहीं करने का माद्दा बहुत काम लोगों में ही देखने को मिलता है. मुन्डेजी की इसी निर्भीकता, दबंगता और गरीबों, पिछड़ों के हित में सतत संघर्षशीलता ने ही उन्हें महाराष्ट्र भाजपा का चेहरा बना दिया था. 

बीड जिला परिषद के सदस्य, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के उपनेता और अब केंद्र की मोदी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बनने तक का उनका यह सफर उनके गरीब और पिछड़े वर्ग के लिए सतत संघर्ष से तैयार हुए मार्ग के पड़ाव थे, इनमें केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री अब उनका अंतिम पड़ाव बन गया. उन्होंने आज अपनी पार्टी भाजपा के लिए राज्य में जो स्थान बनाया, वह भी कम रोमांचक नहीं है. राज्य की राजनीति के धूमकेतु बन चुके शरद पवार, बालासाहेब ठाकरे, विलासराव देशमुख, सुशील कुमार शिंदे और नारायण राणे, छगन भुजबल जैसी समकालीन शख्सियतों से लगातार लोहा लेते हुए उन्होंने यह मुकाम हासिल किया था. इसमें उल्लेखनीय यह है कि उपरोक्त सारे नेता अपने-अपने जातीय समूहों की बड़ी जनसंख्या के बल पर राजनीति में छाये थे अथवा हैं, वहीं मुंडेजी का वंजारी समाज बीड ही क्या, राज्य भर में इसकी आबादी में कम है. ऐसे में मुन्डेजी ने गरीब किसानों, सभी पिछड़ा वर्ग को और यहां तक कि दलितों के बीच भी पैठ बनाई और स्वंय के साथ-साथ पार्टी को भी इनसे जोड़ा. 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रास्ते भाजपा में वाले और महाराष्ट्र भाजपा का चेहरा बन चुके मुंडेजी की इस राजनीतिक यात्रा में उनके सबसे निकट सहयोगी उनके करीबी रिश्तेदार प्रमोद महाजन थे, जो वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री बन भाजपा के राष्ट्रीय स्तर तक जा पहुंचे थे. दस वर्ष पूर्व जब एक पारिवारिक विवाद में अचानक उनकी ह्त्या हो गई, तो समझ जाने लगा था कि गोपीनाथजी का वर्चस्व अब राज्य की राजनीति में नहीं रह पायेगा. लेकिन प्रमोद महाजन के नहीं रहने के बावजूद उन्होंने न केवल अपने वर्चस्व को बढ़ाया, बल्कि पार्टी को भी जैसा आधार दिया और पार्टी के युवा चेहरों को आगे बढ़ाया, उसी का परिणाम है कि 2014 के हाल के लोकसभा चुनाओं में भी भाजपा को महाराष्ट्र में शानदार सफलता हासिल हो सकी. आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी भाजपा ने महाराष्ट्र में फिर से शानदार जीत दिलाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंप चुकी थी. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोपीनाथजी को उनकी ग्रामीण विकास की व्यापक समझ और गरीबों एवं किसानों के उत्थान के लिए उनकी सोच को ही ध्यान में रखकर उन्हें अपनी कैबिनेट में ग्रामीण विकास मंत्री का पद सौंपा था. मुंडेजी अपनी इस बड़ी जिम्मेदारी को लेकर बड़े उत्साहित भी थे। उन्हें प्रधानमंत्री ने उनका मनचाहा दायित्व जो सौंपा था. सौ दिनों के अपने मंत्रालय की कार्ययोजना को भी अंतिम रूप देने में जुट गए थे और मोदीजी की अपेक्षाओं के अनुरूप मंत्रालय के कामकाज को गतिशील बनाने के मार्ग पर बढ़ चुके थे. 

मंगलवार को उनके गृह ग्राम बीड जिले के परली में पार्टी की ओर से उनके सम्मान में 'विजय रैली' का आयोजन किया था. उसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए वे नई दिल्ली से वे परली जाने के लिए इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय विमान तल के लिए निकले थे. लेकिन विधि का विधान कुछ और ही था. देश के ग्रामीण विकास में एक बड़ी भूमिका निभाने का उनका सपना, सपना ही रह गया. विमाव तल के मार्ग में ही एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया. बीड की जनता ने अपने जिस प्यारे नेता को बड़ी आशा और विश्वास के साथ फिर से अपना प्रतिनिधि चुना था, जिसे आज  देश के मंत्री के रूप में रूबरू देखने की आस लगाए बैठे थे, जिनका वे सम्मान करने को लालायित थे, उनकी यह आस भी धारी की धारी रह गई. अब बुधवार को उन्हें मुंडेजी की मैयत में शामिल होकर अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई देने का असहनीय दर्द भी सहना पड़ेगा. 

जिन परिस्थितियों में उनके जैसे लोकप्रिय नेता की जान गई है, उसे देखते हुए इस घटना की की सीबीआई जांच की मांग अस्वाभाविक नहीं है. देश का दुर्भाग्य है कि देश के जमीन से जुड़े अनेक नेताओं की मौत ऐसी ही आक्समिक दुर्घटनाओं और षडयंत्रो के कारण अचानक हुई है. इंदिरा गांधी, माधवराव सिधिया, राजेश पायलट, राजेश्वर राव, राजीव गांधी, प्रमोद महाजन, राजशेखर रेड्डी आदि की कड़ी में गोपीनाथ मुंडेजी का नाम भी ऐसे ही दिवंगत होने वाले नेताओं के साथ जुड़ गया है. यदि आवश्यक लगे तो निश्चय ही मूंडे जी के निधन की जांच जरूर कराई जानी चाहिए. देश के इस बड़े नेता के आक्समिक निधन पर हम भी उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. 

- कल्याण कुमार सिन्हा 

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