Saturday 16 June 2012

तालीम बनी तिजारत
डोनेशन नहीं तो एडमिशन नहीं
पवित्र कुरआन में अल्लाह ने सबसे पहले जो हुक्म तमाम इन्सानों को दिया वो हुक्म है पढ़यानी तालीम हासिल कर, अल्लाह ने तमाम कामों का हुक्म बाद में दिया. रोज़ा, नमाज़, हज़ और जकात सारे हुक्म बाद में आए, लेकिन सब से पहले इल्म हासिल करने का हुक्म आया, क्योंकि जब तक इन्सान इल्म हासिल नहीं करेगा वो खुदा को भी नहीं पहचान सकता. उसकी कुदरत और ताकत को नहीं समझ सकता. इल्म हासिल करेगा तो खुदा की सारी खुदाई, उसके सारे निज़ाम को समङोगा. अच्छे और बुरे की तमीज़ होगी. हलाल और हराम पहचानेगा, जिंदगी गुजारने का ढंग आएगा. इसीलिए हज़रत मोहम्मद (स) ने फरमाया कि इल्म हासिल करना फर्ज है और इसी इल्म की दौलत से वे इलाके जो बहुत जाहिल, ज़ालिम, कत्ल व खून जिनकी रगों में शामिल था. दुनिया के तमाम इन्सानों के रहबर बन गये.
अरब और यूनान इल्म का गढ़ बन गए. जहालत खत्म हो गई. पूरा अरब ऐसा तरक्की कर गया कि दुनिया उनके कदमों में आ गई.. और ये सच है कि तालीम के बगैर कोई इनसान, कोई समाज, कोई इलाका और कोई भी मुल्क तरक्की नहीं कर सकता, मगर अफसोस कि जब तालीम की अहमियत हर गरीब, फकीर, देहाती के भी समझ में आ गई, गांव-खेड़े के लोग भी इल्म हासिल करने के लिए शहरों की तरफ आने लगे, मज़दूर और हमाल भी अपने बच्चों को पढ़ाने के ख्वाब देखने लगे तो शिक्षण माफिया, एजूकेशन माफिया ने ऐसा जुल्म ढाया, डोनेशन की ऐसी गोलियां और बारूद ईजाद किए कि गरीबों के सारे ख्वाब टूट गए, वो इल्म जो अंधों को आंखें और गूंगों को ज़बान दे देता है. इल्म जो दरिंदे को इन्सान, फकीर को अमीर, जाहिल को आलिम बना देता है, जिससे दुखों और मुसीबतों के बादल छंट जाते हैं, बरकत और रहमत की बारिशें बरसती हैं. अब इस इल्म पर सिर्फ अमीरों और मालदारों का कब्जा होने लगा, क्योंकि डोनेशन नहीं तो एडमिशन नहीं.
रिश्वत ने बड़े खूबसूरत अंदाज में डोनेशन का नाम ले लिया. बिल्डिंग फंड के नाम पर वो जायज़ हो गया. अब कोई भंगार जमा करने वाला बाप, कचरा चुनने वाली मां और रिक्शा चलाने वाला भाई, दूसरों के घर बरतन मांजने वाली बहन अगर अच्छी और ऊंची तालीम अपने बच्चों को, छोटों को दिलाना चाहते हैं तो नर्सरी के लिए 50 हजार, बहुत ही छोटा और नया स्कूल है तो पांच हजार, उर्दू इदारा है तो तीन हजार, वो कहां से लाएंगे. गरीब को मैनेजमेंट के किसी जिम्मेदार का सिफारिशी लेटर भी नहीं मिलता. मैनेजमेंट के कोटे में उनके आगे-पीछे घूमने वाले, उनकी हां में हां मिलाने वाले, उनके सियासी मफाद के लिये काम करने वाले, उनकी गाड़ियों का दरवाजा खोल कर उनका इस्तकबाल करने वाले, उनके खबरी या ऐसे मालदारों को जो पचासों गरीबों की फीस भर सकते हैं, उन्हें डोनेशन माफी का लेटर मिलता है.
ये तमाम क्वालिटी आप में है तो आपका एडमिशन बिना डोनेशन के हो सकता है, वरना गरीब का एडमिशन कहीं नहीं, अगर गरीब का बच्चा बड़ी मुसीबतों और हालात से गुजरते हुए दसवीं या बारहवीं पास कर लेता है तो फिर डोनेशन का बम उसकी ज़िंदगी को तबाह कर देता है.
डीएड 1 लाख, बीएड तकरीबन दो लाख, बीयूएमएस डोनेशन छह लाख, एमबीबीएस, बीडीएस सिर्फ डोनेशन 40-50 लाख.. अब ऐसी महंगी तालीम गरीब कहां हासिल कर सकता है, यानी गरीबी तम्हारा जुर्म है. तुम डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस/आईपीएस, एसपी और कलेक्टर नहीं बन सकते. तालीम को तिजारत (बिजनेस) बना लिया. अब सबसे अच्छी तिजारत, अच्छा बिजनेस यही है कि स्कूल या कॉलेज खोल लो. फकीर मालदार बन गये, लुटेरे इज्जतदार बन गये, मगर याद रखो तालीम को इन्सानों के लिए मुश्किल और तिजारत बनाओगे तो खुदा से भी दुश्मनी मोल लोगे और खुदा तुम्हारी ज़िन्दगियों का सुकून छीन लेगा.
आज हम अपनी आंखों से देख रहे हैं कि जिस मैनेजमेंट में डोनेशन खूब आ रहा है. वहां आपस की बांटा-बांटी में कोर्ट-कचहरी, यहां तक कि लड़ाई-झगड़े, कत्ल व खून तक पहुंच रहे हैं. अफसोस तो ये है कि सरकार की तरफ से सभी कॉलेज मैनेजमेंट को चेतावनी दी जाती है कि सिर्फ मेरिट की बुनियाद पर ही एडमिशन लें, अगर डोनेशन लेकर दाखिला दिया तो सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, मगर इसका असर किसी कॉलेज या मैनेजमेंट पर नहीं पड़ता. वो बड़ी ही डेयरिंग के साथ डोनेशन लेते हैं और अच्छे, ज़हीन मगर गरीब बच्चों को बाहर कर दिया जाता है. डोनेशन लाखों और करोड़ों में, कहीं इमारत के नाम पर, कहीं गरीबों के नाम पर जमा किया जा रहा है. आज तक सरकार कुछ नहीं कर पाई. सरकार के सरकुलर निकाल कर खामोश बैठ जाने से मसला हल नहीं होगा, बल्कि सख्त कार्रवाई करनी पड़ेगी.
खुफिया तरीके से ऐसे कॉलेजेस पर निगरानी करना होगी, तब जाकर डोनेशन की ये नहूसत और लानत से मुल्क पाक होगा. तालीम का मेयार बुलंद और अच्छा होगा. तभी ये मुल्क भी तरक्की करेगा.. तालीमयाफ्ता काबिल बच्चे अधिकारी बनेंगे तो इंशाअल्लाह बहुत ही जल्द ये मुल्क सुपर पावर और महासत्ता बन कर दुनिया के सामने आयेगा. आज जुमा की नमाज और दुआ में हम खुदा से ये मांगते हैं कि ऐ अल्लाह हमारे बच्चों को खूब इल्म से नवाज़ दे और हमारी गरीबी को, हमारे बच्चों और हमारे मुल्क की तरक्की में रुकावट न बना और डोनेशन की लानत से हमारे मुल्क को पाक फरमा (आमीन).
-जलगांव (महाराष्ट्र) की एक मस्जिद में जुमे (16.6.2012) का खुत्बा

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