Wednesday 27 June 2012

क्रूर पाकिस्तानी मजाक

पाकिस्तान की सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह विश्वास के योग्य नहीं है. कट्टरपंथियों, सेना और आतंकवादी गिरोहों के साथ-साथ अपनी कुख्यात गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के गिरफ्त में वहां की सरकार भारत के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए भी भरोसेमंद नहीं रही है. मौत की सजा का सामना कर रहे एक भारतीय कैदी की रिहाई की पाकिस्तान सरकार की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही पहली घोषणा को पलटकर एक अन्य भारतीय कैदी की रिहाई की बात करना उसके लिए अंतरराष्ट्रीय शर्मिदगी जैसी बात है, लेकिन शायद उसके लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. रक्षा विशेषज्ञों का अनुमान गलत नहीं है. उनका मानना है कि यह
पाकिस्तान में 1990 में बम विस्फोट की कई घटनाओं में संलिप्तता को लेकर जबरन दोषी ठहराए गए और मौत की सजा का सामना कर सरबजीत सिंह को कल ही पाकिस्तान सरकार द्वारा रिहा करने की खबर आने के कुछ ही घंटे बाद राष्ट्रपति के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने बताया कि अधिकारी सुरजीत सिंह नाम के एक अन्य भारतीय कैदी को रिहा करने के लिए कदम उठा रहे हैं, जो जासूसी के मामले में जेल में बंद था.
पाकिस्तान का यह
सरबजीत सिंह की रिहाई पर सरकार का रुख पलटने के एक दिन बाद आज पाकिस्तान ने सफाई पेश करते हुए कहा कि उन्हें रिहा करने की कोई योजना नहीं थी और इस मुद्दे पर सेना के किसी भी दबाव से इनकार किया.
पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने संवाददाता सम्मेलन में यह पूछे जाने पर कि क्या सरबजीत को रिहा करने की योजना सेना के दबाव में टाली गई, कहा कि इस मुद्दे पर सरकार में कोई चर्चा भी नहीं की गई. मलिक ने कहा,
गौरतलब है कि कल सरबजीत सिंह को रिहा किए जाने की खबरों के कुछ ही घंटे बाद पाकिस्तान ने सफाई दी कि उसने एक अन्य भारतीय कैदी सुरजीत सिंह को रिहा करने के कदम उठाए हैं, जो तीन दशक से जेल में बंद है.
पाकिस्तानी मीडिया ने कल खबरें जारी की थीं कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सरबजीत की मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है और सजा पूरी होने की स्थिति में उसे रिहा करने का आदेश दिया है, लेकिन बाद में मीडिया ने सरकार द्वारा कल मध्य रात्रि के बाद जारी किए गए स्पष्टीकरण को
घालमेलजानबूझकर हो सकता है. भारत में 26/11 के मुंबई हमले के प्रमुख अभियुक्तों में एक अबु जंदाल की गिरफ्तारी से पाकी सेना और आईएसआई सकते में हैं. माना जा रहा है कि दबाव बढ़ाने के लिए उन्होंने रिहाई रुकवाई होगी. यू टर्नसरबजीत और उसके परिजनों के साथ नहीं भारत के साथ भी यह एक क्रूर मजाकहै. हालांकि उसकी जगह छूटने वाला दूसरा कैदी पंजाब का फरीदकोट निवासी सुरजीत सिंह भी भारतीय है और वह भी पिछले 31 सालों से पाकिस्तानी कैद में झूठे आरोप में बंद है. सुरजीत को पूर्व सैन्य शासक जिया-उल-हक के कार्यकाल के दौरान जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उसकी मौत की सजा तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इश्हाक खान ने 1989 में आजीवन कारावास में तब्दील कर दी थी और उसने भी अपने कारावास की सजा पूरी कर ली है. उसे हर हाल में पाकिस्तान को छोड़ना ही था. लेकिन अपने आतंकवादी गिरोह के अबु जंदाल के भारत की गिरफ्त में आ जाने की खबर से पाकिस्तानी सेना और आईएसआई को सांप सूंघ गया और सौदेबाजी के लिए ही वहां की सरकार ने सरबजीत को रिहा करने की अपनी नीयत बदल ली.हमने तो अभी सरबजीत को माफी भी नहीं दी है-हर बात में सेना को न घसीटें. सेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है और बनी रहेगी. सेना ने कभी हस्तक्षेप नहीं किया. वह कभी रिहा नहीं किए गए.उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने अभी सरबजीत की माफी पर कोई कदम नहीं उठाया है.यू-टर्नकी संज्ञा दी.

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